SOME Lines :
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एक ऐसी जो रात हुई ,
क्या बताऊ जो मेरे साथ हुई |
एक भयानक भोर हुआ ,
में न जणू कुछ और हुआ |
आँखे खुली तो पता लगा,
में कोण हु और क्या हुआ |
एक अनजान सा साथी मेरे साथ था ,
उनके हाथो में मेरा हाथ था |
एक अनजान सा साथी मेरे साथ था ,
उनके हाथो में मेरा हाथ था |
में न जानू में कोण था ,
और कहा मेरा प्रवास था |
पैर धरे रही की रहो में ,
न जाने वो कौन था एक विचित्र सी परछाई में |
हम चल दिए अँधेरी रहो में ,
एक अनजान साथी की चावो में |
में न जानू उनके क्या विचार थे ,
कैसे संकल्पो और विचारो का वो सार थे |
ज्यू समय बढ़ा ज्यू राहे बढ़ी ,
और संघ संह उनकी परछाई बढ़ी |
में न जानू ये उनका केसा सवरूप था ,
अत्यंत भयानक और भयावय उनका रूप था |
न जाने जैसा परिहास हुआ ,
उनके छूटने का अहसास हुआ |
मन अत्यंत व्याकुल हो उठा ,
पता नहीं क्यों बेचैनी की धरा में में था डूब चुका |
अपने आप से विस्वास उठा ,
न जाने केसा संवाद उठा |
एक दम से अहसास हुआ ,
तब तक मेरी छाया का मुझ से परित्याग हुआ |
में न समझा हरी की क्या माया थी ,
में न समझ पाया वो किसी छाया थी |
अंत बड़ा भयानक था ये केसा परिहास हुआ ,
आँखे खुली तो पता लगा ये तो बस एक सवपन अभ्यास था ,
ये तो बस एक सवपन अभ्यास था |
लेखक :- SMG VANSH ( एक अनजान राही )